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कुछ अधूरी बातें | Prachi Patil | prachipatilblogs

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  "तुमसे फिर मिलना होगा, ये कभी नहीं सोचती थी और कोशिश भी रहती थी कि भविष्य में तुमसे मेरा सामना कभी नहीं हो।" "अच्छा...! हाँ, शायद शिक़ायत का भी मौका मैंने ही दिया था।" "वो तो पता नहीं, लेकिन सब ख़त्म कर के जब मैं शुरुआत कर रही थी, सारी चीजें पीछे छोड़ रही थी... तो तुमने जो किताबें छोड़ दी थी हमारे घर में, उसने मुझे बहुत रुलाया था, इसलिए ऐसा फैसला लिया था।" "पर उन किताबों में तो ऐसा कुछ भी नहीं था जो तुम्हें तकलीफ दे..." "हाँ लेकिन तुमने हर किताब के किसी आखरी या पहले पन्ने पर ऐसी लाइन लिखी थी जो मुझसे जुड़ी थी, कोई लाइन याद है आज?" "नहीं..." "ये लो, वही पन्ने हैं... मैंने फाड़ कर काफी दिन तक अपने पास रखा, और हर साल एक किताब जला देती थी। आज जब मिलना तय हुआ तो संयोग ऐसा था कि आखरी किताब आज ही जलायी। तुम ये पन्ने रख लो।" "क्या करूंगा अब इनका, तुम साथ थी तो लिख सका था, अब क्या करना इनका..." "इन्हें अब तुम्हें जलाना होगा... हर पन्ना जलाना, हर साल... क्या पता फिर किसी दिन, जब इनमें से कोई आखरी पन्ने को जला रहे हो...

I am on my way | Prachi Patil | prachipatilblogs

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     Being a part of noise of this world, I have lost my own voice. Though I'm surrounded by millions of people, But I don't know where I have misplaced my own self. The more I associate with crowd, The more it's driving me away. Away from my reality, My personality, My true version. Though I talk, But I don't speak. Though there is dark, Still the blood moon is shining high on the horizon. Though I overlooked many things in past, But now the memories are hard to avoid. Though I'm transforming, Still I don't want to forget my essence, The "Me" that is there deep down rooted in my bones, It defines how imperfectly perfect I'm. And I don't need the approval of others, To certify the fact. And now I'm awakening my inner soul, And the fire is again shinning hard in my eyes, I'm again finding my own sword, Instead of waiting for the perfect timing of white knight. Bcoz I know, nobody, But it's me Who gonna save my soul. And ✨ I'm on ...

जब तुम गई | Prachi Patil | prachipatilblogs

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  जानती हो जब तुम गई तब इन आंखों से उम्र भर की नींदें भी तुम्हारे साथ चली गई | पर जो नहीं गई , वो थी उम्मीद ... चाहें मुझे ख़ुद पर यक़ीन हो या ना हो पर इस पागल दिल को बड़ी बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार रहता था | मैं जानता था कि ये पागल हैं और किसी दिन मुझे भी पागल बना कर ही छोड़ेगा पर मैं करता भी तो क्या करता ? ना मैं तुमको भूल पा रहा था और ना इस पागल दिल को तुम्हें याद करने से इसे रोक पा रहा था | मैं जब-जब रोता ये तब-तब मुझसे कहता कि क्या हुआ तुझे ? तु क्यूं उदास हैं ? वो नहीं हैं तो क्या , उसका प्यार तो मेरे पास हैं | हां होगी थोड़ी तकलीफ़ हम दोनों सम्भल जायेंगे , आयेगी वो लौट कर , हम दोनों खिल जायेंगे | मेरा पागल दिल , तुम नहीं आईं | पर वहीं दुसरी ओर मैं ये भी जानता था कि मैं अब सिर्फ़ मैं नहीं रहा | मेरे अंदर जो ये पागल दिल था वो अब मुझे समझाने, हसाने और बेवकूफ़ बनाने वाला मेरा एक बहुत ही अच्छा दोस्त बन चुका था | चाहें कुछ भी हो जाएं ये मुझे कभी भी अकेला नहीं छोड़ने वाला था , भले ख़ुद के हज़ार टुकड़े क्यूं ना हुवे हो ये उन हज़ारों टुकडों से मुझे हज़ार बार फ़िर से एक नई उम्मीद जगा...

कुछ वक्त ठहर जाती हूँ | Prachi Patil | prachipatilblogs

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  कुछ वक्त ठहर जाती हूँ... जैसे संमदर होता है, ना और उसकी बहती लहरें..ठीक वैसे ही थे, मैं और मेरी बहन, हम दोनों ने कितना कुछ नहीं समेटा था, हमारे पास बहुमूल्य यादों के साथ अतरंगी सामानों का एक बड़ा सा खजाना था जिसे हम दोनों ने कभी भी खाली करने की कोशिश नहीं की, बल्कि उसमें इजाफा करती गयी और करती गयी !! मॉं अक्सर गुस्से में कहा करती थी, तुम दो शरारती आत्माओं को मेरी ही कोख से जन्म लेना था पर जब कभी प्यार करने की बात आती तो हम दोनों को पापा की झलक ही पहले नजर आती, वो हमेशा हम दोनों को " आसमान से उतरी परियॉं ", कहा करते थे । कब हम दोनों की बचपन की शरारतों की रेलगाड़ी पटरी से उतर गई, पता ही नहीं चला ! हमारी जिंदगी का ये वो दौर था, जहॉं हम दोनों के खुले पंख काट दिये गये, हमें घर की चार दीवारों से समेट दिया गया, घर से स्कूल और स्कूल से सीधे घर !! मॉं कहती, अब तुम दोनों बड़ी हो गई हो.. जरा संभलकर चला करो, बैठा करो, उठा करो और हॉं, अपनी कैंची जैसी जुंबान पर भी लगाम दो !! मॉं की बातों को सुनकर तो हमारे दिल में डर ने अपना डेरा लिया, जिसमें इजाफा किया पापा के रक्षावादी व्यवहार ने ! हमें...